sidh kunjika No Further a Mystery
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
Draw a line throughout the Sahasrara. At the junction where by the eyes, ears, nose and mouth unite on that axis, that is certainly the location of intensity in this meditation.
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति here मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ ७ ॥